रामायण कथा Archive
ऋषि भरद्वाज के आश्रम में – रामायण कथा जब निषादराज गुह के वापस गंगा के उस पार चले गए तब राम ने लक्ष्मण से कहा, हे सौमित्र! अब हम सामने के फैले हुये इस निर्जन …
गंगा पार करना – रामायण कथा ब्राह्म-बेला में राम ने शैया का परित्याग कर दिया और लक्ष्मण से कहा, तात! भगवती रात्रि व्यतीत हो गई। अब सूर्योदय का समय आ पहुँचा है। कोकिल की कूक …
भीलराज गुह – रामायण कथा गंगा के इस प्रदेश पर भीलों का अधिकार था और उनके राजा का नाम गुह था। एक लोकप्रिय एवं सशक्त शासक होने के साथ ही साथ गुह राम का भक्त …
वन की यात्रा – रामायण कथा तमसा नदी को पार करने के पश्चात् रथ तीव्र गति से बढ़ने लगा। द्रुत गति से दौड़ता हुआ रथ निर्मल जल से युक्त वेदश्रुति नामक नदी के तट पर …
तमसा के तट पर – रामायण कथा जब राम ने देखा कि प्रजाजन रथ के पीछे दौड़ते ही आ रहे हैं तो उन्होंने रथ को रुकवाया और उन्हें सम्बोधित करते हुये बोले, प्रिय अयोध्यावासियों! ज्ञात …
वन के लिये प्रस्थान – रामायण कथा जैसे कि महाराज ने आज्ञा दी थी, सुमन्त रथ ले आये। राम, सीता और लक्ष्मण ने वहाँ पर उपस्थित परिजनों तथा जनसमुदाय का यथोचित अभिवादन किया और रथ …
पिता के अन्तिम दर्शन – रामायण कथा सुमन्त राजा दशरथ के कक्ष में पहुँचे। उन्होंने देखा कि महाराज पुत्र-वियोग की आशंका से व्याकुल हैं। वे पानी से बाहर निकाल दी गई मछली की तरह तड़प …
वनगमन पूर्व राम के द्वारा दान – रामायण कथा बड़े भाई राम की आज्ञानुसार लक्ष्मण गुरु वशिष्ठ के पुत्र सुयज्ञ को अपने साथ ले आये। राम और सीता ने अत्यंत श्रद्धा के साथ उनकी प्रदक्षिणा …
सीता और लक्ष्मण का अनुग्रह – रामायण कथा माता कौशल्या से अनुमति प्राप्त करने तथा विदा लेने के पश्चात् राम जनकनन्दिनी सीता के कक्ष में पहुँचे। उस समय वे राजसी चिह्नों से पूर्णतः विहीन थे। …
माता कौशल्या से विदा – रामायण कथा अपने पिता एवं माता कैकेयी के प्रकोष्ठ से राम अपनी माता कौशल्या के पास पहुँचे। अनुज लक्ष्मण वहाँ पर पहले से ही उपस्थित थे। राम ने माता का …