सम्पूर्ण रामायण Archive
राम द्वारा धनुष भंग लक्ष्मण को अत्यन्त क्रुद्ध एवं आवेश में देख कर राम ने संकेत से उन्हें अपने स्थान पर बैठ जाने का निर्देश दिया और गुरु विश्वामित्र की ओर देखने लगे मानो पूछ …
धनुष यज्ञ मिथिला नरेश के वहाँ से विदा हो जाने पर ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर यज्ञ मण्डप में गये। यज्ञ मण्डप को अत्यंत सुरुचि के साथ सजाया गया था। उस भव्य मण्डप …
पिनाक की कथा दूसरे दिन प्रातःकाल राजा जनक से महर्षि विश्वामित्र ने कहा, हे राजन्! दशरथ के इन दोनों कुमारों की इच्छा पिनाक नामक धनुष को देखने की है। अतः आप इनकी इच्छा पूर्ण करने …
ब्राह्मणत्व की प्राप्ति वार्ता जारी रखते हुए शतानन्दजी ने कहा, हे रामचन्द्र! देवताओं के चले जाने के बाद विश्वामित्र ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिये पूर्व दिशा में जाकर पुनः कठोर तपस्या करने लगे। बिना अन्न …
त्रिशंकु की स्वर्गयात्रा इक्ष्वाकु वंश में त्रिशंकु नाम के एक राजा हुये। त्रिशंकु की इच्छा सशरीर स्वर्ग जाने की थी … अपनी वार्ता जारी रखते हुये मिथिला के राजपुरोहित शतानन्द जी ने कहा, इस बीच …
विश्वामित्र का पूर्व चरित्र राम से मिथिला के राजपुरोहित शतानन्द जी विशेष रूप से प्रभावित हुये। शतानन्द जी ने कहा, हे राम! आप बड़े सौभाग्यशाली हैं कि आपको विश्वामित्र जी गुरु के रूप में प्राप्त …
अहल्या की कथा प्रातःकाल राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले। एक उपवन में उन्होंने एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, गुरुदेव! यह स्थान देखने में …
जनकपुरी में आगमन दूसरे दिन ऋषि विश्वामित्र ने अपनी मण्डली के साथ प्रातःकाल ही जनकपुरी के लिए प्रस्थान किया। चलते चलते वे विशाला नगरी में पहुँचे। इस भव्य नगरी में सुन्दर मन्दिर और विशाल अट्टालिकायें …
गंगा-जन्म की कथा – 2 ऋषि विश्वामित्र ने आगे कहा, बहुत दिनों तक अपने पुत्रों की सूचना नहीं मिलने पर महाराज सगर ने अपने तेजस्वी पौत्र अंशुमान को अपने पुत्रों तथा घोड़े का पता लगाने …
गंगा-जन्म की कथा – 1 ऋषि विश्वामित्र ने कहा, वत्स राम! तुम्हारी ही अयोध्यापुरी में सगर नाम के एक राजा थे। वे पुत्रहीन थे। सगर की पटरानी का नाम केशिनी था जो कि विदर्भ प्रान्त …