chander-bhushan Archive

आचार्य चन्द्र भूषण बिजल्वाण जी का वेद, कर्मकांड,यज्ञ, ज्योतिष,वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ के क्षेत्र में एक सुप्रसिद्ध नाम है । आपका मूल जन्मस्थान देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपदान्तर्गत माँ गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री है आपका जन्म एक पौरोहित्य ब्राह्मण परिवार में में हुआ है आपके परिवार का नाम कई पीढ़ियों से ज्योतिष, वेद कर्मकाण्ड आदि के क्षेत्र ख्यातिप्राप्त रहा है वेद कर्मकाण्ड पूजापाठ आदि पौरोहित्य कर्म करना आपके परिवार की वंश परम्परा रही है और आप भी पिछले 25 वर्षों से चंडीगढ़ के सेक्टर 24 के सुप्रसिद्ध सनातन धर्म शिव मंदिर में एक वरिष्ठ अर्चक के रूप में अपना दायित्व निभा रहे है ।

पिता के अन्तिम दर्शन – रामायण कथा 

पिता के अन्तिम दर्शन – रामायण कथा  सुमन्त राजा दशरथ के कक्ष में पहुँचे। उन्होंने देखा कि महाराज पुत्र-वियोग की आशंका से व्याकुल हैं। वे पानी से बाहर निकाल दी गई मछली की तरह तड़प …

वनगमन पूर्व राम के द्वारा दान – रामायण कथा 

वनगमन पूर्व राम के द्वारा दान – रामायण कथा  बड़े भाई राम की आज्ञानुसार लक्ष्मण गुरु वशिष्ठ के पुत्र सुयज्ञ को अपने साथ ले आये। राम और सीता ने अत्यंत श्रद्धा के साथ उनकी प्रदक्षिणा …

सीता और लक्ष्मण का अनुग्रह – रामायण कथा 

सीता और लक्ष्मण का अनुग्रह – रामायण कथा  माता कौशल्या से अनुमति प्राप्त करने तथा विदा लेने के पश्चात् राम जनकनन्दिनी सीता के कक्ष में पहुँचे। उस समय वे राजसी चिह्नों से पूर्णतः विहीन थे। …

माता कौशल्या से विदा – रामायण कथा 

माता कौशल्या से विदा – रामायण कथा  अपने पिता एवं माता कैकेयी के प्रकोष्ठ से राम अपनी माता कौशल्या के पास पहुँचे। अनुज लक्ष्मण वहाँ पर पहले से ही उपस्थित थे। राम ने माता का …

राम का वनवास – रामायण कथा 

राम का वनवास – रामायण कथा  राम ने अपने पिता दशरथ एवं माता कैकेयी के चरणस्पर्श किये। राम को देखकर महाराज ने एक दीर्घ श्वास और केवल हे राम! कहा फिर अत्यधिक निराश होने के …

कैकेयी द्वारा वरों की प्राप्ति – रामायण कथा 

कैकेयी द्वारा वरों की प्राप्ति – रामायण कथा  उल्लासित महाराज दशरथ ने शीघ्रातिशीघ्र राजकार्यों को सम्पन्न किया और राम के राजतिलक का शुभ समाचार सुनाने के लिये अपनी सबसे प्रिय रानी कैकेयी के के प्रासाद …

कैकेयी कोपभवन में -रामायण कथा

कैकेयी कोपभवन में राम के राजतिलक का शुभ समाचार अयोध्या के घर-घर में पहुँच गया। पूरी नगरी में प्रसन्नता की लहर फैल गई। घर-घर में मंगल मनाया जाने लगा। स्त्रियाँ मधुर स्वर में रातभर मंगलगान …

राजतिलक की तैयारी-रामायण कथा

राजतिलक की तैयारी दूसरे दिन राजा दशरथ के दरबार में सभी देशों के राजा लोग उपस्थित थे। सभी को सम्बोधत करते हुये दशरथ ने कहा, हे नृपगण! मैं अपनी और अयोध्यावासियों की ओर से आप …

अयोध्याकाण्ड – राजतिलक की घोषणा

अयोध्याकाण्ड – राजतिलक की घोषणा कैकेय पहुँच कर भरत अपने भाई शत्रुघ्न के साथ आनन्दपूर्वक अपने दिन व्यतीत करने लगे। भरत के मामा अश्वपति उनसे उतना ही प्रेम करते थे जितना कि उनके पिता राजा …

पापअंकुशा एकादशी व्रत कथा

पापअंकुशा एकादशी व्रत कथा धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! आश्विन शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? अब आप कृपा करके इसकी विधि तथा फल कहिए। भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! पापों …
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